सीएम धामी ने बाघ-तेंदुओं के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए लिया बड़ा एक्शन! रेस्क्यू सेंटर के गुलदारों को अन्य राज्यों के चिड़ियाघर स्थानांतरित करने को दिए निर्देश

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उत्तराखंड में बढ़ते वन्यजीवों के हमले को लेकर जहां ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त हो रहा है वहीं जंगलों में घास व चारापत्ती व लकड़ियां बीनने जाने वाली कामकाजी महिलाओं पर भी लगातार हमले की घटानाये बढ़ रही है। कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के कई जिलों में बाघ और गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हमलों को रोकने के लिए राज्य सरकार व वन महकमे के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो रही है। वहीं सीएम धामी ने गुलदार के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए बड़ा एक्शन लिया है। प्रदेश में लोगों पर बढ़ते हमलों को रोकने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वन महकमे को गंभीरता से कार्ययोजना तैयार करने के आदेश दिये है। सीएम धामी के अनुसार शासकीय आवास पर मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते मामलों के सम्बंध में आयोजित बैठक में उच्चाधिकारियों को बाघ-तेंदुओं के हमलों को कम करने के लिए प्रभावी दीर्घकालिक कार्य योजना बनाने और प्रशिक्षित वनकर्मियों की क्विक रिस्पॉन्स टीम को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए निर्देशित किया। रेस्क्यू सेंटर के गुलदारों को अन्य राज्यों के चिड़ियाघर/वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर से संपर्क करके स्थानांतरित करने की कार्यवाही में तेजी लाने और गांव-जंगल की सीमा पर सोलर फेंसिंग (तार-बाड़) लगाने को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए। गौरतलब है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी गुलदार का आतंक बढ़ गया है। कई बार चलती बाइकों पर भी गुलदार झपटकर लोगों को जख्मी कर चुका है। जबकि गुलदार और बाघ के हमला कर अब तक महिलाओं व बच्चों के साथ ही दर्जनों लोगों को अपना निवाला बना चुके है। जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए वन महकमे के पास व्यापक कार्ययोजना नहीं होने से लोगों में आक्रोश भी व्याप्त हो रहा है। हिंसक गुलदार और बाघों को पकड़ने और चिहिन्त करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहिये। वही जिस क्षेत्र में नर और मादा गुलदार व बाघ बाघिन अपने शावकों के साथ मौजूद हैं वहां उनके जोड़ों को चिहिन्त करने के बाद ही ट्रकुलाईज किया जाये अन्यथा जोड़े हिंसक व्यवहार कर सकते है। वन्यजीवों को रोकने के लिए जंगलों की सीमाओं पर तारबाड़ करने की आवश्यकता है जो एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हांलाकि भोजन की तलाश में वन्य जीव लगातार आबादी वाले क्षेत्रों का रूख कर रहे है जिन्हें रोकना बड़ी चुनौती बन गया है। जंगलों में पेड़ पौधे नष्ट होने व पानी नहीं होने से छोटे वन्य जीव हिरन, लोमड़ी, बंदर, लंगूर विलुप्त हो रहे है।


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