उत्तराखण्डः नैब संस्था में दृष्टिबाधित नाबालिग बच्चियों से शोषण का मामला! रोशनी सोसायटी ने सीएम और महिला एवं बाल विकास मंत्री को भेजा ज्ञापन

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नैनीताल। हल्द्वानी की नैब संस्था में दृष्टिबाधित नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के आरोपियों पर कार्यवाही की मांग को लेकर रोशनी सोसायटी के संयोजक एवं सचिव गोविन्द मेहरा ने मुख्यमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, अध्यक्ष महिला बाल कल्याण आयोग, अध्यक्ष महिला आयोग उत्तराखंड और कुमाऊं आयुक्त को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया कि हल्द्वानी के दृष्टिबाधित बच्चों की एक आवासीय संस्था नैब में कुछ दृष्टिबाधित नाबालिग बच्चियों का यौन शोषण का मामला सामने आया है जिसमें पुलिस द्वारा अभी तक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी मात्र की गयी है। इस संबंध में रोशनी सोसायटी एवं हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 सोशल मीडिया ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में कई सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं द्वारा शासन-प्रशासन के ढीले रवैए पर अपना विरोध जताया गया। कहा गया कि जिस प्रकार से पुलिस द्वारा जांच अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया गया है इससे स्पष्ट है कि भारी राजनीतिक दवाब पुलिस पर डाला जा रहा है। कहा गया कि अभी तक पुलिस द्वारा नैब संस्था की अधीक्षिका की गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि श्रनेजपबम श्रनअमदपसम ।बज में हास्टल अधीक्षिका को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए था ताकि अन्य सभी गुनहगारों को उनके इस कुकृत्य के लिए सजा मिल सके। साथ ही कहा गया कि दूसरी ओर प्रशासन का रवैया भी बेहद असंवेदनशील है क्योंकि ना तो अभी तक संस्था को भंग कर अपने अंडर लिया गया है क्योंकि उस संस्था में अभी भी बच्चों को संस्था के हवाले ही रखा गया है। प्रशासन उक्त संस्था वर्तमान कार्यकारिणी को भंग कर अपने सानिध्य में ले। कहा गया कि संस्था के पदाधिकारियों द्वारा नये महासचिव का चयन बात कही गई है जिससे प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती है। अगर संस्था खुद ही यह निर्णय लेती है तो साक्ष्य छिपाने हेतु स्वतंत्र हो जायेगी जिसकी वजह से पीड़ित बच्चियों को न्याय मिलने में अड़चन आनी स्वाभाविक है। कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अपने विभाग बाल कल्याण विभाग एवं बाल कल्याण समिति पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है, अतः संबंधित एजेंसियों पर मासिक, औचक निरीक्षण अधिकारी की जिम्मेदारी को संज्ञान में लेकर कार्यवाही होनी अति आवश्यक है। ज्ञापन में कहा कि संस्था के महासचिव श्याम धानक द्वारा बच्चियों के यौन शोषण की जांच हेतु ैप्ज् द्वारा स्वतंत्र जांच एक महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में की जाय तथा इसमें संलिप्त सभी गुनहगारों को चिन्हित कर तुरंत गिरफ्तार किया जाय। वहीं पूरे प्रकरण की 30 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करने और फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई करने की मांग की गयी।


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