उत्तराखंड में नाबालिगों के यौन शोषण के मामलों में एक साल के भीतर 19.52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके सापेक्ष यहां पॉक्सो और अन्य यौन अपराधों के मुकदमों के निस्तारण में उत्तराखंड पुलिस का देशभर में चौथा नंबर है। यहां पर 78.4 फीसदी मुकदमों में समय से आरोपियों की गिरफ्तारी और विवेचना पूरी कर ली जाती है। पुलिस इसमें और सुधार करने पर काम किया जा रहा है।
पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2020 में 573 मुकदमे नाबालिगों के यौन शोषण के दर्ज हुए थे। अगले साल यह संख्या लगभग 25 फीसदी बढ़कर 712 हो गई। जबकि, 2022 में पूरे प्रदेश के थानों में पॉक्सो अधिनियम के तहत 851 मुकदमे दर्ज किए गए। यह करीब 19.52 फीसदी की बढ़ोतरी है। एडीजी कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने बताया, उत्तराखंड पुलिस मुकदमे दर्ज करने के साथ-साथ इनमें कार्रवाई भी तेजी से कर रही है। पॉक्सो के मुकदमों में लगभग सभी का समय से निस्तारण किया जाता है। जबकि सभी प्रकार के यौन अपराधों में पुलिस का अनुपालन दर यानी मुकदमों के निस्तारण की दर 78.4 फीसदी है। मुकदमों की विवेचना की निगरानी ऑनलाइन पोर्टल इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस (आईटीएसएसओ) से की जाती है। आईटीएसएसओ के अनुसार, इसमें उत्तराखंड देश के शीर्ष राज्यों में चौथे स्थान पर है।एडीजी ने क्राइम इन इंडिया-2021 की रिपोर्ट का भी हवाला दिया। रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिगों से यौन उत्पीड़न के 93.35 फीसदी मामलों में आरोपी उनके परिचित होते हैं। सिर्फ 6.65 फीसदी मामलों में आरोपी अज्ञात होते हैं। नाबालिगों को यौन अपराधों की जानकारी देने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। स्कूलों-कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। एडीजी के अनुसार, बीते छह माह में पुलिस ने 731 जागरूकता कार्यक्रम किए हैं। इनमें 50,300 नाबालिगों को जानकारी दी गई है।