उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल के भीतर फंसे 40 मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। टनल में ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम जारी है. इस बीच दिल्ली से हैवी ऑगर ड्रिल मशीन को भी एयरलिफ्ट कर चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया। चिन्यालीसौड़ से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हैवी ऑगर मशीन सिलक्यारा पहुंचाई जा रही है। जल्द से जल्द हैवी ऑगर ड्रिल मशीन के सिल्क्यारा पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही सिल्क्यारा टनल में फंसे मजूदरों को निकालने के लिए अब नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद भी ली जा रही है। बता दें थाईलैंड की उस रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे 12 बच्चों को सकुशल बाहर निकाला था। ये सभी बच्चे 17 दिनों से गुफा में फंसे थे। ये सभी बच्चे थाईलैंड की वाइल्ड बोर्स अंडर-16 फुटबाल टीम का हिस्सा थे। इन सभी ने तय किया था कि प्रैक्टिस मैच के बाद वो टैम लूंग गुफा की सैर करेंगे। तय प्रोगाम के बाद ये सभी बच्चे गुफा पहुंचे। ये बच्चे गुफा में करीब 10 किमी अंदर तक दाखिल हुए। इसके बाद मौसम खराब होने के कारण वे गुफा ने फंस गये थे। इसके बाद गुफा में फंसे बच्चों को निकालने की जद्दोजहद शुरू हुई। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एक दर्जन थाई नेवी सील कमांडो बुलाई गई। बाद में थाईलैंड सरकार ने ऑस्ट्रेलिया की सेना और ब्रिटेन के गुफा विशेषज्ञों की मदद ली। इसके बाद इसमें दुनिया की कई टीमें और चीन के एक्सपर्ट भी शामिल किये गये। इसके बाद 17 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद इन 12 बच्चों को गुफा से बाहर निकाला गया था।
सिलक्यारा टनल हादसे के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए नॉर्वे की एनजीआई एजेंसी से भी संपर्क किया गया है। इस एजेंसी से सुरंग के भीतर ऑपरेशन किस तरह अंजाम दिये जाते हैं इसे लेकर सुझाव लिये जा रहे हैं। इसके अलावा भारतीय रेल, आरवीएनएल, राइट्स एवं इरकॉन के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन से संबंधित सुझाव लिए जा रहे हैं। कुल मिलाकार कहें तो उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए हर तरह की कोशिश की जा रही है। एयरफोर्स के तीन विशेष विमान 25 टन भारी मशीन को लेकर उत्तरकाशी पहुंचे। ये मशीन मलबे को भेद कर स्टील पाइप दूसरी तरफ पहुंचाने में मददगार साबित होगी। इस मशीन के जरिए प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकला जा सकेगा। आज शाम से इस मशीन के जरिए काम शुरू होगा।