शिक्षा के मंदिर में राजनीती: राजनेताओं द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ से पंतनगर विश्वविद्यालय के 2876 छात्र-छात्रा बन गए वोटर,कुछ को तो जानकारी ही नहीं

Spread the love

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद नगर निकाय चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऊधम सिंह नगर जनपद के पंतनगर नगला को नगर पालिका परिषद बनाए जाने के बाद चुनाव लड़ने और लड़ाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। वहीं इस राजनीति में अब नेताओं द्वारा पंतनगर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी खींचा जा रहा है। उनके वोट बनाकर उनको भी राजनीति में उतारने का प्रयास किया जा रहा है।

बता दें कि नगला नगर पालिका परिषद बनने के बाद यहां के स्थानीय नेता जहां चेयरमैन के सपने देख रहे हैं। वहीं कुछ राजनेताओं द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ करते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 2876 छात्र-छात्राओं के वोट बनवा दिए गए। इस मामले पिछले दिनों कांग्रेसियों द्वारा डीएम उदयराज सिंह से मुलाकात करते हुए 2876 छात्र-छात्राओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने पर सवाल खड़े किए थे। तो कुछ स्थानीय नेताओं द्वारा छात्र-छात्राओं को आनन-फानन में डीएम से मुलाकात कराके उनके नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने को सही ठहराया था। इस मामले को लेकर जब आवाज इंडिया की टीम पंतनगर विवि पहुंची तो पता चला कि कई छात्र-छात्राओं ने ना तो पंतनगर में अपना वोट बनवाने के लिए कोई आवेदन किया और ना ही उन्हें अपना वोट बनने की जानकारी है। सूत्रों की माने तो कई छात्र-छात्राओं के वोट पंतनगर में ही बने हैं, लेकिन इस बात की उनको जानकारी तक नहीं है।

वहीं स्थानीय लोगों द्वारा वोटर लिस्ट में विद्यार्थियों के नाम को गलत ठहराते हुए विश्वविद्यालय में राजनीति न करने की बात करते हुए नगला नगर पालिका को पंतनगर विश्वविद्यालय से दूर रखने की बात कही। लोगों का मानना है कि अगर पंतनगर विश्वविद्यालय में राजनीति होगी तो विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। वह राजनीति में उतर जाएंगे, जिससे उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी। यही कारण है कि पंतनगर विश्वविद्यालय को छात्रसंघ चुनाव से दूर रखा जाता है।

वहीं बीते दिनों इस पूरे प्रकरण को लेकर डीएम से मुलाकात करने वाले छात्रों पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कहा छात्रों को राजनीति से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। वह यहां पढ़ने आए हैं और अपनी पढ़ाई पूरी करें। उन्होंने कहा कि 4700 से अधिक विश्वविद्यालय में विद्यार्थी हैं, लेकिन मात्र 2876 छात्र-छात्रों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़ना अपने आप में सवालिया निशान खड़े करता है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज उनके द्वारा विश्वविद्यालय स्थित अपने कार्यालय पर अपने साथियों के साथ बैठक की गई है और बैठक में निर्णय लिया गया है कि इस मुद्दे पर शांत नहीं होंगे। उच्च अधिकारियो से पत्राचार किया जायेगा। इधर बूथ लेवल ऑफिसर संतोष दुबे ने बताया कि उनके द्वारा अधिकारियों के निर्देशों पर सर्वे करके लिस्ट उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन उस लिस्ट के आधार पर नगर पालिका के वोट बनाए जाएंगे, इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। उन्होंने बताया ना तो उन्होंने किसी छात्र-छात्रा से आवेदन लिए, ना ही किसी छात्र-छात्रा से मुलाकात की। सिर्फ सर्वे के आधार पर उन्होंने विश्वद्यालय से लिस्ट लेकर अधिकारियों को लिस्ट उपलब्ध कराई और लिस्ट के आधार पर ही अधिकारियों द्वारा वोट बना दिए गए। उन्होंने बताया इस लिस्ट में नाम होने से किसी छात्र-छात्रा को वोटर आईडी या एपिक नंबर उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन्होंने राजनीतिक दबाव के सवाल को सिरे से नाकार दिया। उन्होंने बताया कि तत्कालीन ईओ विनोद कुमार श्रेय द्वारा उन्हें सर्वे करने के लिए कहा गया था, जिसके बाद उन्होंने सर्वे किया।

 


Spread the love