फादर्स डे स्पेशल! उत्तराखंड निवासी एक ऐसा पिता जिसने लाखों रुपयों की सरकारी नौकरी छोड़कर लगाया बेटे की किस्मत पर दांव, 7 साल के बेटे की ख्वाहिश पूरी करने सब कुछ छोड़कर नैनीताल से निकले मुंबई

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फादर्स डे स्पेशल! एक बच्चे को बड़ा करने में और उसके पालन पोषण में जितना त्याग मां का होता हैं, उतना ही त्याग एक पिता भी अपने बच्चें को बड़ा करने और उसके भविष्य को संवारने के लिए करता हैं। ऐसा ही एक त्याग किया है नैनीताल के एक पिता ने जिन्होंने अपने बच्चें के एक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए लाखों रुपयों की सरकारी नौकरी छोड़ दी। वहीं अपना सब कुछ नैनीताल में ही छोड़ कई किमी दूर सिर्फ अपने बेटे के सपने पूरे करने चले गए। हम बात कर रहे हैं बाल कलाकार यज्ञ भसीन के पिता दीपक भसीन की जो अपने बेटे के एक्टर बनने के सपने के खातिर सब कुछ छोड़ नैनीताल से मुम्बई जा बसे और जुट गए अपने बेटे के सपने पूरे करने में, लेकिन मुंबई में मंजिल पाना इतना आसान नहीं था उसके लिए यज्ञ के पिता दीपक भसीन ने काफी मेहनत की दीपक अपने बच्चे को लेकर हर रोज ट्रेन में सवार होकर भयंदर से अंधेरी ले जाने लगे। ये सफर भी आसान नहीं था क्योंकि 5 बजे तक यज्ञ का स्कूल होता था और स्कूल से छूटकर वो उसे घर लाते जहां वो घर के अंदर भी नहीं आते थे जिससे समय की बर्बादी न हो और यज्ञ की मां स्कूल बैग लेकर दूसरा बैग पकड़ाती थी जिसमें यज्ञ के ऑडिशन का सामान होता था- जैसे एक-दो सेट कपड़े, मेकअप का थोड़ा बहुत सामान होता था। यज्ञ ने बताया कि उनके पिता कई सारी ट्रेन छोड़ देते थे जिससे उस ट्रेन में बैठे जहां थोड़ी जगह हो और उनके बेटे को दिक्कत न हो।

देश का नाम रोशन कर रहे हैं यज्ञ
दीपक भसीन ने बताया कि यज्ञ बहुत मेहनती है और वो कभी भी मुसीबत से नहीं घबराता है, स्कूल के बाद ऑडिशन पर जाना वहां लाइन में लगना हर तरह की मुसीबत का सामना उनका बच्चा करता था। पिता और बेटे की मेहनत रंग लाई क्योंकि 52 ऑडिशन के बाद आखिरकार यज्ञ का चयन एक टीवी सीरियल में एक छोटे से रोल के लिए हो गया। ‘मेरे साईं’ सीरियल से यज्ञ को ब्रेक मिला, वो दिन है और आज का दिन है यज्ञ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यज्ञ को स्टार प्लस का सीरियल ‘ये है चाहतें’ में सारांश का लीड रोल मिला। वहीं यज्ञ बहुत ही जल्द ‘बाल नरेन’ और ‘बिश्वा’ जैसी टाइटल रोल वाली फिल्मों में नजर आने वाले हैं। ‘बिश्वा’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना भी मिल चुकी है।
यज्ञ भसीन और दीपक भसीन की कहानी एक पिता के बलिदान और बेटे की तपस्या की कहानी है, जो हमें इंस्पायर करती है कि कैसे एक पिता के लिए उसके बच्चे का सपना उसका सपना बन जाता है और वो अपने बेटे को आगे ले जाने के लिए खुद कितना पीछे चला जाता है। यज्ञ भी अपने पिता के इस बलिदान को समझते हैं और हमें उम्मीद है कि वो अपने पिता का सिर कभी नहीं झुकने देंगे।


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