उत्तराखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। बीते दिनों भी अल्मोड़ा में सरकारी अस्पताल से रेफर नवजात की हायर सेंटर ले जाते वक्त एंबुलेंस में मौत हो गई। नवजात की मौत का मामला सामने आने के बाद पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठे। जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं इस पूरे घटनाक्रम की जांच जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से करेगा तो वहीं दूसरी ओर अल्मोड़ा जिला प्रशासन भी अपने स्तर से जांच की कवायद में जुट गया है कि आखिर किस वजह और लापरवाही से नवजात की मौत हुई है? स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने नवजात के परिजनों को सख्त कार्रवाई का भरोसा देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक और अल्मोड़ा के जिलाधिकारी को इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को अगले एक हफ्ते के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
दरअसल अल्मोड़ा की फलसीमा की महिला को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे टैक्सी से सरकारी अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही महिला ने नवजात को जन्म दे दिया। बताया जा रहा है कि जन्म के बाद से ही नवजात शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इसके चलते परिजन आनन-फानन में नवजात शिशु को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे तो वहां से उसे रेफर कर दिया गया। क्योंकि,शिशु को एनआईसीयू की जरूरत थी जिसके बाद परिजन जच्चा बच्चा को लेकर बेस अस्पताल पहुंचे। बेस अस्पताल के एनआईसीयू में बेड खाली न होने के चलते हायर सेंटर रेफर कर दिया गया, लेकिन शिशु को हायर सेंटर ले जाते वक्त एंबुलेंस में ही नवजात में दम तोड़ दिया। वहीं स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत में कहा कि जिलाधिकारी और विभागीय स्तर पर अलग-अलग जांच कराई जाएंगी। नवजात की मौत मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार बेहतर करने का काम किया जा रहा है। ऐसे में इस तरह की घटना किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिसके चलते जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महानिदेशक से अगले एक हफ्ते के भीतर इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।