देवभूमि उत्तराखंड में है कई औषधियां,क्या आप पयां या पइयाँ को जानते है? देववृक्ष के नाम से प्रसिद्ध पयां के बिना उत्तराखंड में शादी मानी जाती है अधूरी,जानिए उत्तराखंड के इस पवित्र वृक्ष को

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देवभूमि उत्तराखंड में अनेक पेड़ पौधे मौजूद हैं, जिनमें भारी मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं,तो वही इन पेड़ पौधों का अपना एक अलग ही धार्मिक महत्व हैं। इनमें से एक वृक्ष हैं पयां जिसे पदम के नाम से भी जानते हैं तो वहीं कुछ क्षेत्रों में इसे पइयां के नाम से भी जानते हैं। वहीं अंग्रेजी में इसे बर्ड चेरी के नाम से जाना जाता है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले पयां के पेड़ का बॉटनिकल नाम है प्रूनस सीरासोईडिस हैं और वृक्ष 2200 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता हैं।

कुमाऊं विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी बताते हैं कि पयां का वृक्ष धार्मिक महत्त्व से जुड़ा है। इस वृक्ष को बेहद ही पवित्र माना जाता हैं, इसलिए इसे देववृक्ष भी कहा जाता हैं। इसकी पत्तियां पूजा में विशेष रूप से इस्तेमाल में आती हैं। वहीं शादी का मंडप भी पयां के पत्तियों व डंडियों के बिना अधूरा माना जाता हैं। वहीं धार्मिक आयोजनों में बजाए जाने वाले पहाड़ी वाद्य यंत्र इसी पेड़ की टहनियों से बनाए जाते हैं। इस पेड़ की लकड़ियों को आम और चंदन के वृक्ष के समान पवित्र माना जाता हैं,इसलिए इसकी लकड़ियों का प्रयोग हवन में भी किया जाता हैं।
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि जिस तरह तुलसी लगाई जाती है ठीक उसी तरह पदम को लगाया जाना भी सनातन धर्म में विशेष महत्त्व रखता है। वहीं होली पर्व में भी इस पेड़ अपना अलग धार्मिक महत्व रखता हैं,इसकी बहुत मान्यताएं हैं। होली के दौरान चीर बंधन में इसका बहुत महत्त्व है। चीरबंधन के दौरान इस पेड़ की टहनी को काट कर इसमें चीर बांधा जाता है और होल्यार इसके इर्द गिर्द घूम होली गाते हैं. होलिका दहन में इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं यह वृक्ष मवेशियों के लिए भी काफी लाभदायक हैं, हालांकि पयां के पत्ते कड़वे होने के कारण मवेशी इसे ज्यादा पसंद नहीं करते हैं, लेकिन जो भी मवेशी इसे खाते हैं, यह वृक्ष उनके लिए पौष्टिक आहार का जरिया है। वहीं इस पेड़ की एक अन्य खासियत यह है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जब पौष के महीने में सभी पेड़ों की पत्तियां गिर जाती हैं उस दौरान भी इसमें हल्के गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। साथ ही यह वृक्ष मधुमक्खीयों के लिए भी सर्दियों के समय में काफी लाभ कारी होते हैं।


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