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कुछ समय पहले तक लोग अपने घर के अंदर या फिर आसपास शौक के लिए बागवानी करते थे, लेकिन अब बागवानी में सिर्फ शौक ही नहीं पूरा कर सकते बल्कि अच्छा करियर भी बना सकते हैं। कंप्यूटर की किट−किट और डेडलाइन्स से दूर रहकर अगर आप नेचर संबंधित एक अच्छे करियर की तलाश में हैं तो आप भी हॉर्टिकल्चर अर्थात बागवानी में अपना भविष्य तलाश सकते हैं। हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है। साथ ही पर्यावरण को बेहतर करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है। हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की ऐसे कृषि क्षेत्र मौजूद है, जहां पर विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को तैयार किया जा सकता है। वहीं उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन.हाउस रिसर्च और ऑफ.सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं। यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हॉर्टिकल्चर को एग्रीकल्चर की एक विशेष शाखा कहा जाता है। हॉर्टिकल्चर में अनाज, फल, मसाला, सब्जियां, फूल, सजावटी पेड़ और औषधीय आदि की खेती की जाती है। हॉर्टिकल्चर कला, विज्ञान एवं तकनीक का सम्मिश्रण है। इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है। खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं। हॉर्टिकल्चर में पौधों के फसल उत्पादन से लेकर मिट्टी की तैयारी, पौधे की प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग, पौधे की जैव रसायन और पादप शरीर क्रिया विज्ञान आदि शामिल है। अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं तो आपकी एजुकेशन इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्रकार के हॉर्टिकल्चर में रूचि रखते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश स्नातक स्तर से शुरू होता है। जिन उम्मीदवारों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित, जीव विज्ञान, कृषि के साथ विज्ञान स्ट्रीम के साथ 12वीं की परीक्षा पास किया है, तो आप अपने विषय के अनुसार हॉर्टिकल्चर में स्नातक की डिग्री के लिए एक अलग विषय के रूप में या बीएससी कृषि विज्ञान विषय के रूप में चयन कर सकते हैं। वहीं डिप्लोमा कार्यक्रम करने के लिए एक ही मूल योग्यता आवश्यक है। छात्र हॉर्टिकल्चर में बीएससी करने के बाद एमएससी भी कर सकता है। कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्रोग्राम भी संचालित करते हैं।