नई दिल्ली, प्रेट्र। देश की शीर्ष अदालत ने घर-घर जाकर टीकाकरण करने का आदेश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐेसे विविधता भरे देश में घर-घर जाकर टीकाकरण करना आसान काम नहीं है। घर-घर जाकर कोविड टीकाकरण करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में कोविड की अलग-अलग स्थिति और प्रशासनिक जटिलताओं को देखते हुए डोर-टू-डोर टीकाकरण के आदेश देना मुमकिन नहीं है, खासतौर से तब जबकि देश में टीकाकरण अभियान प्रगति के साथ आगे बढ़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के सामान्य निर्देश केंद्र सरकार की प्रशासनिक जरूरतों और नीतिगत फैसलों को देखते हुए जारी नहीं किए जा सकते। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं दाखिल करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करता। बाम्बे हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था कि जो लोग नहीं जा सकते उनके घर जाकर टीकाकरण किया जाए लेकिन देश में अलग-अलग जगह हालात अलग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लद्दाख, केरल और यूपी और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हालत अलग हैं। आपको इस तरह देश की विविधता को देखना चाहिए। पूरे देश को एक सामान्य आदेश से चलाया नहीं जा सकता।
अभी एक नीति के तहत 50 फीसदी लोग कम से कम वैक्सीन की एक डोज ले चुके हैं। याचिकाकर्ता यूथ बार एसोसिएशन इस मामले में केंद्र सरकार के पास जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में भी कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन, दवाओं आदि की कमी के कारण से मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इस मामले में पहले ही फैसला सुना चुका है। याचिकाकर्ता अब केंद्र सरकार को सुझाव दें।