पैडमैन फिल्म का हीरो तो याद होगा हो आपको अब देखिये पेड वोमेन, जिसने खुद के दम पर खडा किया पैड का कारोबार।

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कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो..’ दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सेलाकुई के चोई बस्ती निवासी कक्षा 12 की छात्रा ने साकार किया है। छात्रा ने अपनी हिम्मत और जज्बे से अपने रोजगार को न सिर्फ एक लाख रुपये महीने तक पहुंचा दिया है बल्कि 11 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।

हरबर्टपुर के राजकीय इंटर कॉलेज में कक्षा 12 की छात्रा प्रिंसी वर्मा आम लड़कियों की तरह सेलाकुई स्थित प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र पर ब्यूटीशियन का कोर्स करने के लिए गई थी। खाली समय में वह उद्यमिता विकास कार्यक्रम की कक्षा में बैठकर स्वरोजगार के बारे में बताई जाने वाली बातों को ध्यान से सुनती रहती थी। यहीं से उसके मन में अपना कारोबार शुरू करने की इच्छा जागी। 


कम उम्र होना व परिवार की आर्थिक स्थिति मार्ग में बड़ी बाधाएं थी। लेकिन कहते हैं कि जब व्यक्ति निश्चय करके आगे बढ़ता है तो मुश्किलें भी आसान होने लगती हैं। सरकारी कार्यालयों से जानकारी जुटाकर प्रिंसी ने खादी ग्रामोद्योग से सेनेटरी नैपकिन यूनिट का प्रोजेक्ट पास करा लिया।

हालांकि एक बार बैंक ने उनका ऋण रद्द कर दिया लेकिन छात्रा ने हिम्मत नहीं हारी। उसके जुनून को देखकर परिजन आगे आए। बैंक से दस लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हो जाने से छात्रा ने अपने घर पर ही सेनेटरी नैपकिन बनाने की यूनिट खड़ी कर दी। तीन महीने की मेहनत के बाद यह छात्रा एक लाख रुपये का कारोबार कर रही है। नैपकिन बनाने, पैकिंग व मार्केटिंग में 11 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।

बिटिया के प्रयास को सफल बनाने में परिवार ने भी प्रयास कर आगे आए और जुट गए। छात्रा की माता संगीता वर्मा व पिता राजेश वर्मा दोनों ही सेलाकुई स्थित औद्योगिक इकाईयों में काम करके अपने परिवार की आजीविका चलाते थे। प्रिंसी वर्मा के परिवार में उसकी दो बहने व एक भाई हैं। प्रिंसी घर में सबसे बड़ी हैं। कुछ समय पहले तक माता-पिता की सारी मेहनत बच्चों के लालन-पालन व उनकी शिक्षा के लिए होती थी। लेकिन बेटी के प्रयास से उन्हें राहत तो मिली ही है, साथ ही उनकी भी हिम्मत बढ़ी है। छात्रा के पिता का कहना है कि पूरा परिवार बेटी के बड़ा कारोबार खड़ा करने के सपने को साकार करने में जुटा रहता है।

जुनून इतना की नहीं खाया तीन दिन तक खाना


प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले ऋण की फाइल के पास होने में उसकी कम उम्र  (20 वर्ष) बाधा बन गई। बैंक बतौर ऋण दिए जाने वाली दस लाख रुपये की रकम की वापसी की गारंटी को लेकर पशोपेश में था। इसलिए बैंक ने उसकी फाइल को रद्द कर दिया। प्रिंसी के पिता राजेश वर्मा बताते हैं कि जब उसे यह पता चला तो वह मायूस हो गई और उसने तीन दिनों तक खाना नहीं खाया। तीन दिन बाद उन्होंने बैंक अधिकारियों से बात करके और उन्हें पैसा वापसी की गारंटी के मामले में आश्वस्त करके इस फाइल को दोबारा से शुरू करवाया और अपना कराबोरा का सपना साकार भी किया।

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