उत्तराखंड: खतरे में जोशीमठ! घरों के बाद जलस्त्रोतों पर मंडरा रहा संकट,निर्माण कार्यों ने बढ़ाई चिंता

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उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के साथ क्षेत्र में तमाम जलस्रोतों के प्रवाह में भी असमान्य बदलाव देखने को मिला है। इसका कारण केंद्रीय भूजल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है। भूजल बोर्ड के विज्ञानियों के अनुसार प्राकृतिक जलस्रोतों के आसपास भारी और बेतरतीब निर्माण से न सिर्फ इनके अस्तित्व पर खतरा बढ़ा है, बल्कि जमीन के भीतर इनके मार्ग बदलने से भूधंसाव में बढ़ोत्तरी से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

केंद्रीय भूजल बोर्ड के विज्ञानियों ने जोशीमठ क्षेत्र के आठ (छह में प्रवाह) जलस्रोतों समेत चार हैंडपंप का अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान इनके प्रवाह का दैनिक परीक्षण किया गया। विज्ञानियों के मुताबिक, सिंहधार क्षेत्र में भूजल स्तर में 20 से 60 सेंटीमीटर प्रतिदिन के हिसाब से कमी दर्ज की गई। इस कमी के पीछे सीधे तौर पर भूधंसाव को कारण माना गया। यहां 11 जनवरी 2023 को भूजल स्तर 47.03 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल (जमीन स्तर के नीचे) था, जो कि 18 जनवरी को 51.2 मीटर तक नीचे जा पहुंचा। हालांकि अन्य स्रोतों में अध्ययन के दौरान यह अंतर मामूली माना गया। भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जोशीमठ में विभिन्न जल स्रोतों के प्रवाह में असामान्य रूप से अंतर पाया गया है। यह अंतर एक लीटर प्रति मिनट से लेकर 650 लीटर प्रति मिनट के बीच का है। माना गया है कि जलस्रोतों के इर्द-गिर्द पक्के निर्माण के चलते इनका प्रवाह असामान्य स्थिति में सालों पहले से आना शुरू हो गया। इस स्थिति को भी विज्ञानियों ने भूधंसाव से जोड़कर देखा है। साथ ही ऐतिहासिक भूकंपीय फाल्ट लाइन मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) के क्षेत्र में आने के चलते भूकंपीय घटनाओं को भी एक वजह माना।


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