उत्तराखंड शिक्षा विभाग हुआ सख्त! सरकारी शिक्षक पढ़ाने के अलावा नहीं कर पाएंगे अन्य व्यवसाय

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प्राचीनकाल से हमारे देश में शिक्षा के घर को ( गुरुकुल और स्कूल ) को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है लेकिन अब इन मंदिरों में ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाले कुछ शिक्षकों कि पैसे की भूख लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके कारण यह शिक्षक अपने मुख्य काम को छोड़कर दूसरे व्यवसाय में लिप्त होते जा रहे हैं जिसका प्रभाव सरकारी विद्यालयों की शिक्षा पर दिखाई दे रहा है। इसके कारण शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट दिखाई दे रही है। वहीं जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारी और उपखंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे शिक्षक जो अन्य व्यवसाय में लिप्त हो उन्हे चिंहित किया जाए।

ऊधमसिंहनगर जिले के सरकारी स्कूलों के कुछ शिक्षकों का सरकार द्वारा मिल रही मोटी सैलरी से भी पेट नहीं भर रहा है जिसके कारण कुछ शिक्षक अपने मूल शैक्षणिक काम को छोड़कर खनन, प्रॉपर्टी डीलिंग, रियल स्टेट के बिजनेस साथ साथ अन्य कई कारोबार में लिप्त है। जिसके कारण ये शिक्षक अपने मूल काम पर ठीक से ध्यान नहीं दें रहें हैं। जिससे कुछ सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, जिसका लाभ सीधे तौर पर प्राइवेट स्कूलों और इंटर कॉलेज को मिल रहा है। ऊधम सिंह नगर जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि जिला शिक्षा विभाग की तरफ से खंड और उपखंड के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे शिक्षकों का चयन करें जो सरकारी विद्यालय में पढ़ाने के साथ-साथ अन्य किसी कारोबार से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा सेवा नियमावली का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों को पहले निलंबन कर सभी एंगल से जांच की जाएगी। अगर अन्य खामियां सामने आई तो ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त किया जाएगा। वहीं लापरवाही बरतने वाले 6 शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए उप खंड शिक्षा अधिकारियों की तरफ संस्तुति की गई थी। जिस पर कार्रवाई करते हुए इन शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।


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