हल्द्वानी। पीएमकेएसवाई और एआईबीपी योजना के अंतर्गत जमरानी बांध परियोजना को आज केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति मिल गयी है। अब वर्षों से लंबित परियोजना के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। गौरतलब है कि नैनीताल के काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम में गौला नदी पर जमरानी बांध का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से लगभग 1,50,000 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई सुविधा से लाभांवित होगा। इससे हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम) के अंतर्गत जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण हेतु निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। उक्त स्वीकृतियों के उपरांत वित्तीय मंत्रालय भारत सरकार को वित्तीय स्वीकृति हेतु जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया था। प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय द्वारा विगत 7-3-2023 को आयोजित पीआईबी की बैठक में सहमति व्यक्त की गई। भारत सरकार द्वारा 1730.20 करोड़ की स्वीकृति पीएमकेएसवाई में 90 प्रतिशत (केन्द्रांश), 10 प्रतिशत (राज्यांश) के अंतर्गत प्रदान किया जाना प्रस्तावित है। शेष धनराशि का वहन संयुक्त रूप से उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एमओयू के अनुसार किया जायेगा। जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूमि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने हेतु वन भूमि (स्टेज-2) अंतिम स्वीकृति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, द्वारा माह जनवरी 2023 में प्रदान कर दी गई है, जिससे प्रस्तावित बांध निर्माण की राहत और आसान होगी। परियोजना प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए प्राग फार्म की प्रस्तावित 300.5 एकड़ भूमि का प्रस्ताव दिनां 18.5.2023 को उत्तराखण्ड सरकार की कैबिनेट में पारित किया जा चुका है। उक्त जानकारी पीआईयू जमरानी हल्द्वानी के महाप्रबंधक प्रशांत विश्नोई ने दी।