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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के व्यंजनों को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने के लिए जरूरी है कि पहाड़ के लोग स्वयं खाएं और दूसरे को भी परोसें। उन्होंने कहा कि उनके प्रयास का ही नतीजा रहा है कि आज मंडुवे और झंगोरे के व्यंजनों की पहचान पूरे देश में हो गई है। यह बात उन्होंने स्वयं आयोजित उत्तराखंडी जलपान सहभोज कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही। बीते शनिवार को रिंग रोड स्थित संस्कार गार्डन में आयोजित सहभोज जलपान कार्यक्रम में कांग्रेसियों और आमजन ने पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाया। सहभोज में उत्तराखंड के पारंपरिक लजीज व्यंजन झंगोरे की खीर, जलेबी, पकौड़े, मंडुवे की रोटी, पहाड़ी ककड़ी का रायता आदि परोसे गए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान सबसे पहले पहाड़ी पारंपरिक व्यंजनों को देश-विदेश में पहचान दिलाने का बड़े स्तर पर बीड़ा उठाया था, जिसमें सफलता भी प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि पहाड़ी व्यंजन हमारी पहचान हैं। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ष को मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया जो एक सार्थक पहल है। लेकिन, सरकार को इस दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ना चाहिए।