सीएम धामी ने परखी वन विभाग की मुस्तैदी! एक कॉल पर जंगल में दौड़े कर्मचारी

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उत्तराखंड वन विभाग में उस समय हड़कंप मच गया जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद वन विभाग में फोन कर एक बाघिन के घायल होने की सूचना दी। सीएम धामी की सूचना पर वन विभाग के अफसर जंगल में दौड़ पड़े। हालांकि बाद में जानकारी जुटाने पर मुख्यमंत्री धामी की तरफ से बताई गई सूचना गलत निकली। दरअसल सीएम धामी ने यह कॉल वन महकमे की मुस्तैदी परखने के लिए की थी।

वन विभाग के तराई पूर्वी वन प्रभाग में आज एक सूचना ने हड़कंप मचा दिया। वन विभाग के टोल फ्री नंबर पर आज एक सूचना आई जिसमें कहा गया कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के सुरई रेंज में एक बाघिन घायल अवस्था में पड़ी हुई है। इसके बाद जैसे ही यह खबर संबंधित डीएफओ संदीप कुमार तक पहुंची तो पूरे वन प्रभाग में अफरा-तफरी मच गई। यह जानकारी खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन्यजीव हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर 18008909715 पर दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब यह सूचना टोल फ्री नंबर पर दी तो कॉल को अटेंड करने वाले कर्मचारी को भी नहीं पता था कि वो मुख्यमंत्री से बात कर रहा है। सूचना के आधार पर फौरन यह जानकारी संबंधित वन प्रभाग को भेज दी गई। इसके बाद वन प्रभाग में अफसर और कर्मचारियों में सूचना के आधार पर जानकारी जुटाने के लिए दौड़ शुरू हो गई। सूचना के बाद प्रभाग के डीएफओ समेत तमाम अधिकारी जंगल में घायल बाघिन की लोकेशन जानने के लिए खोजबीन शुरू करने लगे। काफी प्रयास करने के बाद भी जंगल में कोई भी घायल बाघिन नहीं मिली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह सूचना भले ही गलत थी, लेकिन इस सूचना के जरिए वन विभाग की सक्रियता सबके सामने आ गई। दरअसल देहरादून सचिवालय में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन्यजीव हेल्पलाइन का लोकार्पण किया। इस दौरान सीएम धामी ने इस हेल्पलाइन के बाद अधिकारी कितने सक्रिय हैं? यह जानने के लिए हेल्पलाइन में बाघिन के घायल होने की सूचना दे दी। वन विभाग को सूचना मिलने के बाद खोजबीन की गई। खोजबीन में किसी भी बाघिन के घायल नहीं पाए जाने के बाद डीएफओ की तरफ से चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इस पूरे घटनाक्रम की सूचना दी गई। वहीं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने बताया कि जिस तरह से वन विभाग की टीम ने फौरन रिस्पांस दिया है, वो काफी अच्छी बात है। इससे यह साफ हो गया है कि हेल्पलाइन नंबर पर कोई भी व्यक्ति यदि शिकायत करता है तो वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उस पर गंभीरता से काम करते हैं।


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