उत्तराखंड में प्रतिष्ठित निजी शिक्षण संस्थाओं में दी जा रही शिक्षा की पहुंच साधन विहीन छात्रों को भी हो सके, इसके लिए सरकार की निवेश नीति के तहत राज्य में 13 नये स्कूल (डे/बोर्डिंग) खोले जाएंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दृष्टिगत सरकार की ओर से महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा /राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा बंशीधर तिवारी और इच्छुक निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों के बीच सोमवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा सभागार में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों की शंकाओं का समाधान किया, जिसके बाद उनके द्वारा बोर्डिंग एवं डे स्कूल खोले जाने की सहमति दी गयी। महानिदेशक तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इसके लिए भूमि बैंक बनाया गया है जिसका लाभ सरकार द्वारा निर्धारित की गयी नीति के अन्तर्गत निवेश पर मिल सकता है। इस कार्य को मूर्तरूप देने का उत्तरदायित्व विभाग ने डॉ. मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा को दिया था। उनके द्वारा निजी विद्यालयों के प्रबन्धकों/संचालकों के साथ समन्वयन करते हुए इसके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गयी। उन्होंने बताया कि इस अवधि में 13 निजी विद्यालयों के साथ प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 वीं तक के विद्यालय खोले जाने हेतु एमओयू हस्ताक्षर किए गए जिसमें लगभग 680 करोड़ रुपये का निवेश तथा 2290 नये रोजगार सृजन प्रस्तावित हैं। महानिदेशक शिक्षा तिवारी ने यह भी कहा कि राज्य में प्रतिष्ठित निजी शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से दी जा रही स्कूली शिक्षा की उपलब्धता प्रायः असमान रही है तथा यह केवल घनी आबादी वाले मैदानी क्षेत्रों तक ही सीमित रह गयी है। परिणामस्वरूप साधन विहीन छात्रों की पहुंच इन विद्यालयों तक नहीं हो पाती है तथा कुछ सीमा तक राज्य में पलायन को बल मिला है। इस इस अवसर पर निजी विद्यालयों की ओर से डीएस मान, राकेश ओबेराय, गगनजीत जुनेजा, संजय सेठी, भूपेश सिंह, मीता शर्मा, शरद, प्रेम कश्यप एवं विभाग से मदन मोहन जोशी उप राज्य परियोजना निदेशक, मुकेश कुमेड़ी समन्वयक, हिमांशु रावत आदि उपस्थित रहे। मसूरी, काशीपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, देहरादून, ऋषिकेश, नरेंद्र नगर/टिहरी गढ़वाल, पौड़ी, हरिद्वार, रामनगर (नैनीताल), श्रीनगर गढ़वाल, बागेश्वर आदि में स्कूलों की सहमति दी गयी। 2 वर्ष में विद्यालय प्रारंभ करने का भी आश्वासन दिया गया।