नैनीताल ::- पर्वतीय राज्यों के लिए अकादमी नैनीताल में आपदा प्रबन्धन संस्थान स्थापित किया जाना प्रस्तावितः- डॉ.रघुनन्दन सिंह टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी, नैनीताल में एक राष्ट्रीय कार्यशाला Reducing Risk & Building Resilience : Capacity Building in the Mountain States (पर्वतीय राज्यों के लिए जोखिम न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास) विषयक कार्यशाला जो कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं डॉ. रघुनन्दन सिंह टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी, नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में अकादमी के पुर्ननिर्मित प्रेक्षागृह में माननीय मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी के वर्चुवल गरिमामय उपस्थिति में प्रारम्भ हुई।
कार्यशाला के शुभारम्भ के अवसर पर महानिदेशक अकादमी बीपी पाण्डेय द्वारा सर्वप्रथम मुख्यमंत्री का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। इसी क्रम में कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में विधायक सरिता आर्या एवं विशिष्टि अतिथियों के रूप में पद्भूषण, रमन मैगसैसे पुरूस्कार, चंडी प्रसाद भट्ट, पद्मश्री प्रो. शेखर पाठक, कुमाऊँ विश्व विद्यालय प्रो. संतोष कुमार, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान, नई दिल्ली, ताज हसन, अधिशासी निदेशक, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान नई दिल्ली, आयुक्त कुमाऊँ मण्डल दीपक रावत, कुलपति कुमाऊ विश्व विद्यालय प्रो एनके जोशी, जिला पंचायत अध्यक्षा बेला तोलिया, नैनीताल को पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनन्दन किया। इसी के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से आये सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन भी किया।
महानिदेशक द्वारा कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि पर्वतीय राज्यों में निरन्तर आपदाओं की आवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे प्रतिवर्ष अत्यधिक जन और धन की क्षति हो रही है। अपने वक्तव्य में महानिदेशक महोदय द्वारा बदलते जलवायु परिवर्तन पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में माननीय प्रधानमंत्री के 10 ऐजेण्डा बिन्दुओं पर चर्चा, रिजनल फ्रेम वर्क तथा बैस्ट प्रैक्टिसेस पर चर्चा की जायेगी। यह भी अवगत कराया गया कि अकादमी राज्य की सर्वोत्तम प्रशिक्षण संस्था है। अकादमी में वर्ष भर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं, इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आपदा प्रबन्धन के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी सम्मिलित रहते हैं। राज्यों की संवेदनशीलता के दृष्टिगत पर्वतीय राज्यों के लिए एक सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किया जाना सभी पर्वतीय राज्यों के लिये उपयोगी होगा। अधिशासी निदेशक, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान ताज हसन्, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी विभिन्न आपदाओं पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने यह बताया कि पर्वतीय राज्यों में जलवायु परिर्वतन की वजह से 1.50 सेन्टीग्रेट तापमान में वृिद्ध हुई है। आपदा जोखिम न्यूनीकरण, महिला सशक्तिरण, अरली वारनिंग सिस्टम, फोरकास्ट, टैक्नोलाजी को ध्यान में रखते हुये आपदा प्रबन्ध में क्षमता विकास किया जाना अति आवश्यक है, इस हेतु एनआईडीएम द्वारा विभिन्न राज्यों को प्रशिक्षण हेतु सहायता प्रदान की जाती है।

विधायक नैनीताल सरिता आर्या द्वारा सभी मंचासीन विशिष्ट अतिथियों एवं पर्वतीय राज्यों से आये प्रतिभागियों का अभिनन्दन किया। आपदाओं के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने जोर दिया कि आपदा प्रबन्धन की इस प्रणाली में ग्रामीण लोगों को भी सम्मिलित किया जाये तथा प्रशिक्षित किया जाये। पर्वतीय राज्यों की सड़कों को मजबूत बनाने के साथ-साथ सड़कों का उपचार भी समय से कर लिया जाये। अपने व्यक्तव्य में उन्होंने कहा कि विगत् अक्टूबर, 2021 की आपदा से भवाली-अल्मोड़ा मार्ग अत्यधिक क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे आवागमन में अत्यधिक परेशानियां हुई। आपदाओं के प्रति हम सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है।
इसी क्रम में आयुक्त कुमाऊँ मण्डल, दीपक रावत द्वारा भी आपदाओं के विभिन्न उदाहरण दिये गये, जिसमें बागेश्वर पिण्डर वैली के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किये गये। अपने व्यक्तव्य में उनके द्वारा आपदा प्रबन्धन में संचार व्यवस्था सुदृढ़ किये जाने हेतु जोर दिया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी द्वारा बीपी पाण्डे, महानिदेशक एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान, दिल्ली के अधिशासी निदेशक ताज हसन एंव सभी प्रतिभागियों का शभकामनाऐं प्रेषित की। अपने सम्बोधन में उनके द्वारा पर्वतीय राज्यों के आपदाओं पर विशेष ध्यान आकर्षित किया गया। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने से भविष्य में पेय जल संकट भी उत्पन्न हो सकता है। उनके द्वारा इस राष्ट्रीय कार्यशाला को आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में सराहनीय प्रयास बताया गया। वर्ष 2013 केदारनाथ आपदा के पश्चात् राज्य में हुए क्षति के दृष्टिगत् पुनर्निर्माण के कार्यों में अत्यधिक प्रगति हुई है, जहाँ क्षतिगत अवसंरचनाओं का पुनर्निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण बहुत कम अवधि में किया गया। अकादमी में उत्तर पर्वतीय राज्यों के लिए North Campus सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किये जाने के लिए अपनी सहमति व्यक्त की है। अंत में अकादमी में पुनर्निर्मित प्रेक्षागृह का भी लोकार्पण मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
उद्घाटन सत्र के पश्चात् तकनीकी सत्रों का संचालन समूह चर्चा के माध्यम से किया गया। जिसमें प्रथम सत्र में पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट, पर्यावरणविद्, बसन्ता श्रेष्ठा, आई.सी.मोड, नेपाल, डॉ.अरिजीत रॉय, आईआईआरएस देहरादून, प्रो. जेएस रावत, अल्मोड़ा ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। द्वितीय सत्र में प्रो. संतोष कुमार, एनआईडीएम, बिक्रम सिंह, मौसम विज्ञान विभाग, देहरादून, डॉ.अरिजीत रॉय, आईआईआरएस देहरादून ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। इसके अतिरिक्त एके सिंह, गम्भीर सिंह चौहान, डॉ.पवन कुमार सिंह, मनीष मोहनदास, आई.के.पाण्डे, भूतपूर्व मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड उपस्थित रहे इसके अतिरिक्त डॉ. कृष्णा वत्सा, एनडीएमए, दीपक गोडबोल, मुम्बई द्वारा ऑनलाईन विचार प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर अकादमी से संयुक्त निदेशक (प्र.), प्रकाश चन्द्र एवं अकादमी संकाय वी.के.सिंह, एन.एस. नगन्याल, दिनेश राणा, पूनम पाठक, सुधीर कुमार, डॉ. दीपा मेेहरा रावत, डॉ.मंजू ढौंडियाल, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ.मंजू पाण्डे, मनोज पाण्डे, मीनू पाठक, रागिनी तिवारी के साथ-साथ समस्त अकादमी सदस्य व एनआईडीएम से आये हुए सदस्य अली हैदर, विवेक शर्मा एवं गीता शर्मा भी सम्मिलित रहे।