उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर से गैरसैंण चर्चाओं में आ गया है। इस बार बजट सत्र को लेकर गैरसैंण की चर्चा हो रही है। जहां कांग्रेस धामी सरकार को गैरसैंण की अनदेखी के मामले में घेरने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी ओर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धामी सरकार बजट सत्र गैरसैंण में कराने की तैयारी कर रही है।
उत्तराखंड में बजट सत्र को लेकर गैरसैंण का जिक्र होते ही इसपर राजनीति तेज हो गयी है. हाल ही में हरीश रावत ने भराड़ीसैंण पहुंचकर मौन व्रत भी किया। जाहिर है कि गैरसैंण में आगामी बजट सत्र को कराने पर सरकार चिंतन कर रही है। इससे पहले विपक्षी दल गैरसैंण के नाम पर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशों में जुट गया है। राज्य की स्थापना के 22 साल बाद भी अब तक गैरसैंण केवल राजनीतिक दलों के लिए राजनीति का मुद्दा ही बना हुआ है। शायद यही कारण है कि गैरसैंण का जिक्र होते ही विपक्षी दल सत्ताधारी दल पर आक्रामक होते हुए दिखाई देते हैं। सरकार खुद को गैरसैंण का हितैषी बताने और इसका संदेश देने की कोशिश करती हुई नजर आती है। इसी कड़ी में उत्तराखंड में आगामी बजट सत्र का जिक्र भी गैरसैंंण की राजनीति को बढ़ा रहा है। स्थिति यह है कि सरकार आगामी सत्र सरकार गैरसैंण में आयोजित करने पर विचार कर रही है, हालांकि, इसको लेकर सरकार अब तक आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं कर पाई है। सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार ने यह निर्णय कर लिया है कि बजट सत्र आगामी मार्च में गैरसैंण में किया जाए। उधर कांग्रेस ने इसको लेकर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। इसमें हरीश रावत पहले ही भराड़ीसैंण जाकर मौन व्रत कर चुके हैं। वहीं अब बजट सत्र का जिक्र होते ही कांग्रेस के बाकी नेता भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुट गये हैं। वहीं देहरादून विधानसभा में गैरसैंण विकास परिषद की बैठक हुई। जिसमें गैरसैंण विकास के लिए बजट का प्रावधान किया गया। जाहिर है कि आने वाले दिनों में गैरसैंण उत्तराखंड की राजनीति का मुख्य बिंदु होगा। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के गैरसैंण मुद्दे को लेकर घेराबंदी करने पर जवाब देती हुई नजर आ रही है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट की माने तो गैरसैंण में सरकार सत्र करने जा रही है। हरीश रावत को जब गैरसैंण के लिए कुछ करना था तब उन्होंने कोई भी कदम नहीं उठाया। अब उनके द्वारा केवल इस पर राजनीति की जा रही है।