उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद (पूर्व गृह राज्य मंत्री) की गिरफ्तारी पर रोक व एफआईआर को निरस्त करने संबंधी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। वेकेशन जज न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले को सुनने के बाद उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उनसे 31 जनवरी को विवेचक के सम्मुख पेश होने व जांच में सहयोग करने को कहा है।
मामले के अनुसार देहरादून के हरिपुरकलां रायवाला में रहने वालीं साध्वी तृप्ता सरस्वती शिष्या ब्रह्मलीन स्वामी सहज प्रकाश की हरिद्वार में लक्सर रोड पर आश्रम से जुड़ी करीब 36 बीघा कृषि भूमि है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस भूमि को हरिद्वार निवासी अनुज सिंह, सागरमुनी, अंशुल श्रीकुंज व स्वामी चिन्मयानंद ( पूर्व गृह राज्य मंत्री) द्वारा धोखाधड़ी से बेच दिया गया। इन लोगों के खिलाफ दी गयी तहरीर में जमीन को बेचे जाने का विरोध करने पर साध्वी तृप्ता को जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
पुलिस में शिकायत के बाद भी कार्यवाही न होने पर साध्वी तृप्ता ने पूर्व में हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर साध्वी तृप्ता की तरफ से एसएसपी देहरादून को दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर रायवाला थाने में स्वामी चिन्मयानंद समेत अन्य के खिलाफ फर्जी तरीके से जमीन बेचने और जान से मारने की धमकी की रिपोर्ट चार जनवरी 2022 को आईपीसी की धारा 506 व 420 में दर्ज की गई थी।
साध्वी तृप्ता सरस्वती का आरोप है कि उनके गुरु के आश्रम के स्वामित्व वाली जमीन हरिद्वार में लक्सर रोड पर थी। करीब 36 बीघा कृषि जमीन को चिन्मयानंद व उसके सहयोगियों ने मिलकर धोखाधड़ी से सात करोड़ में बेच दिया। साध्वी तृप्ता ने मामले का पता चलने पर विरोध किया तो यह लोग उसे जान से मारने की धमकी देने लगे। इस दर्ज रिपोर्ट के खिलाफ स्वामी चिन्मयानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।